हेपेटाइटिस बी HEPATITIS B

  • 0

हेपेटाइटिस बी HEPATITIS B

hep-b1-300x128

हेपेटाइटिस क्या है

लीवर शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथियों में से एक है। हेपेटाइटिस लीवर की सूजन है। लिवर में सूजन लिवर की चोट या संक्रमण शराब, ड्रग्स या अन्य मेडिकल कंडीशन के कारण हो सकती है।

हेपेटाइटिस वायरस मुख्य रूप से पाँच प्रकार के होते हैं, जिन्हें A, B, C, D और E के रूप में जाना जाता है। A, B और C सबसे आम प्रकार के हैं।

Hepatitis B क्या है?

दुनिया में सबसे आम गंभीर लीवर इन्फेक्शन हैपेटाइटिस बी के रूप में जाना जाता है। यह दो संक्रमण, पुराना और तीव्र संक्रमणों के कारण बन सकता है।

कभी-कभी बहुत सारे लोग, जो इस वायरस को प्राप्त करते हैं, उन्हें यह थोड़े समय के लिए होता है और फिर बेहतर हो जाता है। इसे एक्यूट हेपेटाइटिस बी कहा जाता है।

कभी-कभी वायरस लगातार रहता है और दीर्घकालीन संक्रमण का कारण बनता है, जिसे क्रोनिक हेपेटाइटिस बी कहा जाता है। यह संक्रमण लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है। यह ऑर्गन (लिवर सिरोसिस), लीवर की विफलता और कैंसर के निशान पैदा कर सकता है।

अगर समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो यह घातक हो सकता है। लीवर की सूजन के अलावा, यह एक रोगी को पीलिया, उल्टी से पीड़ित करता है जिससे मृत्यु भी हो सकती है।

युवा बच्चों को वायरस के इन्फेक्शन से ग्रस्त होने पर पुराने हेपेटाइटिस बी होने की अधिक संभावना होती है। यह वायरस एचआईवी से अधिक संक्रामक है क्योंकि यह रक्त और अन्य शरीर तरल पदार्थों द्वारा बहुत आसानी से संचारित होता है।

लक्षण

चाहे आपको संक्रमण हो, तब भी हो सकता है कि कोई लक्षण ना दिखाई दें। लेकिन सामान्य लक्षण हैं:

  • पीली त्वचा और गहरा मूत्र।
  • थकावट (शक्ति और ऊर्जा की अस्थाई हानि)।
  • भूख ना लगना।
  • मतली।
  • सर में दर्द
  • बुखार
  • पेट में दर्द
  • खुजली

कारण

  • हेपेटाइटिस बी संक्रमण हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) द्वारा किया जाता है।
  • यह वायरस से ग्रस्त व्यक्ति के रक्त द्वारा या शरीर के स्राव द्वारा (जैसे कि वीर्य, योनि का द्रव, और लार) प्रसारित होता है।
  • संक्रमित साथी के साथ असुरक्षित यौन कार्य करने से।
  • रक्त चढ़ाने से।
  • हेपेटाइटिस-बी संक्रमित माँ।
  • अस्वच्छ सुइयों द्वारा टैटू और एक्यूपंक्चर।
  • वायरस ग्रस्त व्यक्ति से व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएँ (टूथ ब्रश, नाखून काटने की मशीन, या रेजर आदि) बाँटकर उपयोग करना।
  • किसी अस्थाई संपर्क जैसे गले लगना, चुम्बन, छींक, खाँसी, या भोजन और पेय बाँट कर लेने से आपको हेपेटाइटिस बी नहीं होता

घरेलू उपाय

  • 1 चम्मच रोस्टेड बार्ली पाउडर 1 कप पानी मे मिलाएँ। इसमे 1 चम्मच शहद डालें और दिन मे दो बार लें।
    • एक चम्मच तुलसी के पत्ते का पेस्ट एक कप मूली के जूस मे मिलाएँ। इसे दिन मे दो बार 15 से 20 दिनों तक इस्तेमाल करें।
    • एक कप गन्ने का रस लें, इसमे आधा चम्मच तुलसी पत्ते का पेस्ट मिलाएँ और दिन मे दो बार लें। यह ध्यान रखें कि जूस हाइजेनिक तरीके से तैयार किया गया हो।

अजवायन और जीरा (Ajwain aur jeera)
एक चम्मच अजवायन और एक चम्मच जीरा पीसकर पाउडर बना लें। इसमें एक चुटकी नमक मिलाएं। इस चूरन को रोजाना दो बार खाएं। इससे इम्यूनिटी बढ़ेगी और हेपेटाइटिस में आराम होगा।

  1. लिकोरिस पाउडर और शहद (Liquorice powder and honey)
    एक बड़ा चम्मच लिकोरिस पाउडर में दो चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन खाएं। हेपेटाइटिस के उपचार में यह भी बेहद फायदेमंद है। इसके साथ ही लिकोरिस की जड़ को पानी में उबालकर उसकी चाय भी बनाई जा सकती है।
  2. लहसुन (Garlic)
    लहसुन रक्त को साफ करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है ऐसे में रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन की एक से दो कली चबाएं। साथ ही खाना बनाने में भी लहसुन का प्रयोग मसाले के रूप में जरूर करें।
  3. हल्दी (Haldi)
    हल्दी इनफ्लेमेंटरी (inflammatory) गुणों से भरपूर होती है। हल्दी का इस्तेमाल भी हेपेटाइटिस से रक्षा कर सकता है। हल्दी को दूध में डालकर पीने से भी बहुत लाभ होता है। हालांकि पीलिया होने में हल्दी लेने की मनाही होती है।
  4. काली गाजर (Black carrot)
    काली गाजर के भी बहुत फायदे हैं। विटामिन से भरपूर काली गाजर से खून की कमी पूरी होती है तथा रक्त संचार सुधरता है। हेपेटाइटिस में भी गाजर को सलाद के रूप में खाने से बहुत फायदे होते हैं।
  5. ग्रीन टी (Green tea)
    ग्रीन टी यानि हर्बल चाय गुणों से भरपूर होती है। ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) होते हैं जो शरीर के साथ ही मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखते हैं। हेपेटाइटिस के उपचार और बचाव के लिए ग्रीन टी को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

    7. आंवला (Amla)
    आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है जो लीवर को हर तरह से फायदा पहुंचाता है। आंवला का प्रयोग च्यवनप्राश में भी किया जाता है जिससे इम्यूनिटी बढ़े और पाचन शक्ति मजबूत हो। ऐसे में आंवला का प्रयोग दैनिक आहार में भी किया जा सकता है। आंवला जूस, चटनी, अचार आदि को दैनिक आहार में शामिल करें।

  6. अलसी के बीज (Flax seed)
    अलसी के बीज शरीर में हार्मोन का संतुलन दोनों बनाए रखते हैं और उन्हें रक्त में सही तरीके से भेजने का काम भी करते हैं। फ्लैक्स सीड में सायटोकांस्टीट्यूएंट्स (phytoconstituents) होते हैं जो कि हार्मोन की बाइंडिंग का काम करते हैं और लीवर पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ने देते। फ्लैक्स सीड को यूं ही टोस्ट के ऊपर, सलाद मे या दाल आदि में डालकर खाया जा सकता है। यह लीवर को मजबूत बनाने में सहायक है जिससे हेपेटाइटिस रोग से बचाव होता है।

Request a Call Back

    Your Name (required)

    Your Email (required)

    Call Back Number(required)

    Your Message

    WHAT’S NEW

    What Patients Say

    Dear Mr. T K Srivastava,

    This is to thank you and the entire team at Jivak Ayurveda for the care taken towards my mother during her pain cancer.

    She is now back home.

    Dr. Tiwari and his entire team was exceptional in assisting her recovery in every possible way without which her turnaround would have perhaps been difficult.

    I must also bring to your notice that your hospital has an outstanding nursing team. Even in the crisis, the team kept my mother smiling. Do convey my personal gratitude to a… Read more

    Thanks "Jivak" to give me a new hope of Life

    Address

    First Floor, Nidhi Complex, Sec-2, Vikas Nagar, Lucknow-226022
    7704996699
    JivakAyurveda@gmail.com