इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस: इन रोगों से रहना है दूर तो रहे खुश

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इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस: इन रोगों से रहना है दूर तो रहे खुश

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20 मार्च को दुनियाभर में इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस या अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस मनाया जाता है। मतलब कि आज सिर्फ और सिर्फ खुशियां ही मनाना। नो रोना-धोना, नो गुस्सा, ओन्ली हैप्पीनेस विद स्माइल। खुश रहना आपके सेहत के लिए बेहद लाभदायक है इसी विषय पर जानकारी दे रहे जीवक आयुर्वेदा के निदेशक टी के श्रीवास्तव।

लगातार मानसिक दबाव या तनाव कई तरह के मानसिक विकारों को जन्म देता है, अनेक शारीरिक समस्याओं का कारण बनता है, जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, थायराइड आदि, इसके बारे में हम आपको विस्तािर से जानकारी देते हैं.

डिप्रेशन के कारण बीमारियां

हमें दैनिक कार्यों में अनेक प्रकार के तनाव झेलने पड़ते हैं। खासतौर पर वर्तमान युग की तेज रफ्तार जिन्दगी में हमें रोज अनेकों समस्याओं से जूझना पड़ता है और इसके कारण तनाव होता है। लगातार मानसिक दबाव या तनाव अनेक मानसिक विकारों को जन्म देता है, अनेक शारीरिक समस्याओं का शिकार बनता है. जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, थायरोइड इत्यादि। चलिये जानें डिप्रेशन के कारण कौंन कौंन सी बीमारियां हो सकती हैं-

कैंसर

कैंसर के लगभग 60 प्रतिशत रोगी डिप्रेशन से भी ग्रस्त होते हैं क्योंकि अवसाद के कारण इक्यूनसिस्टम बदल जाता है। किसी भी व्यक्ति के अवसाद ग्रस्त होने के पीछे मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आनुवांशिक तथा जैव वैज्ञानिक कारण हो सकते हैं। अवसाद से पीडि़त रोगी का उपचार आमतौर पर सायकोथैरेपी के द्वारा किया जाता है।

के लगभग 60 प्रतिशत रोगी डिप्रेशन से भी ग्रस्त होते हैं क्योंकि अवसाद के कारण इक्यूनसिस्टम बदल जाता है। किसी भी व्यक्ति के अवसाद ग्रस्त होने के पीछे मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आनुवांशिक तथा जैव वैज्ञानिक कारण हो सकते हैं। अवसाद से पीडि़त रोगी का उपचार आमतौर पर सायकोथैरेपी के द्वारा किया जाता है।

मोटापा

एक अध्ययन में पाया गया है कि बचपन के अवसाद का अगर जल्द इलाज और रोकथाम कर लिया जाए, तो वयस्क होने पर दिल की बीमारी का खतरा कम हो सकता है। अवसादग्रस्त बच्चों के मोटे, निष्क्रिय होने और धूम्रपान करने की संभावना होती है जो किशोरावस्था में ही दिल की बीमारियों के कारण बन सकते हैं। अमेरिका की युनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा में मनोविज्ञान में यह शोध हुआ।

डिमेंशिया

नए शोध से पता चला है कि अवसाद से ग्रस्त लोगों में डिमेंशिया होने का ख़तरा सामान्य से दो गुना अधिक हो सकता है। डिमेंशिया से इंसान की मानसिक क्षमता, व्यक्तित्व और व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है। जिन लोगों को डिमेंशिया होता है उनकी याद्दाश्त पर असर पड़ता है. अमरीकन पत्रिका न्यूरोलॉजी में ये तथ्य प्रकाशित हुए।

समय से पहले बुढ़ापा

मानसिक बीमारी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (पीटीएसडी) से पीड़ित लोगों को समय से पहले बुढ़ापा आने का खतरा होता है। नए शोध में यह बात सामने आई है। पीटीएसडी कई मानसिक विकारों जैसे गंभीर अवसाद, गुस्सा, अनिद्रा, खान-पान संबंधी रोगों तथा मादक द्रव्यों के सेवन से जुड़ी व्याधि है।

दिल की बीमारियां

एक अध्ययन में पाया गया है कि बचपन के अवसाद का अगर जल्द इलाज और रोकथाम कर लिया जाए, तो वयस्क होने पर दिल की बीमारी का खतरा कम हो सकता है। अवसादग्रस्त बच्चों के मोटे, निष्क्रिय होने और धूम्रपान करने की संभावना होती है जो किशोरावस्था में ही दिल की बीमारियों के कारण बन सकते हैं।

मधुमेह

अवसाद की समस्या मधुमेह की ओर इशारा करती है। कई सालों से यह माना जाता था कि अवसाद की समस्या की जड़ मधुमेह है। हाल के कई शोधों में यह बिंदु सामने आया कि अवसाद से समस्या जटिल होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मधुमेह के पीछे चिंता और तनाव का ही हाथ होता है. यदि कोई व्यक्ति अवसाद ग्रस्त है तो उसे मधुमेह होने की संभावना सामान्य व्यक्ति के मुकाबले दुगनी होती है।

बहरेपन का खतरा अधिक

हाल ही में हुए एक शोध में बहरेपन से संबंधित एक नई जानकारी मिली है। इस शोध की मानें तो अवसाद में रहने वाले लोगों को बहरेपन का खतरा ज्याबदा होता है।  अमेरीका में हुए इस शोध में शोधकर्ताओं ने 18 साल व इससे अधिक उम्र के पुरुषों और महिलाओं पर अध्ययन किया। इसका असर पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर अधिक दिखा।

क्यों मनाया जाता है हैप्पीनेस डे

संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशन्स) ने 20 मार्च को इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे के रूप में घोषित किया है। 12 जुलाई 2012 को यूनाइटेड नेशन्स की जनरल असेंबली ने इस बात की घोषणा की कि पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 20 मार्च को हैप्पीनेस डे मनाया जाएगा। पिछले साल यानी 2013 से इसे विश्वभर में पूरे उत्साह के साथ मनाना शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व में सभी को अवसाद मुक्त कर खुश रखना है ।

कामयाबी का राज है हैप्पीनेस

आपको पता है, खुश रहने से कठिनाइयां कम आती हैं और अगर आ भी जाएं तो कठिन से कठिन समस्या का 50 फीसदी समाधान तुरंत ही हो जाता है। जो लोग खुश रहते हैं, वे अपने जीवन में खुशियां बांटने के साथ-साथ दूसरों के लिए भी प्रेरणा का काम करते हैं।

खुशी से दूर रहेगी दिल की बीमारी

खुश रहने और सकारात्मक सोच रखने से हृदय रोगों से दूर रहा जा सकता है। 1700 लोगों पर दस वर्ष तक किए गए अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है कि जो लोग हमेशा परेशान रहते हैं और अवसाद से घिरे रहते हैं, उनमें हृदय रोग होने की आशंका अधिक होती है। अध्ययन से यह बात भी सामने आई कि जिन लोगों के जीवन में खुशी के पल अधिक आते हैं, उनमें दिल की बीमारी होने की संभावना 22 फीसद कम होती है।

डॉक्टरों का कहना है कि खुश रहने से दिल को बहुत फायदा मिलता है। गुस्सा दिल के लिए बहुत हानिकारक है। हृदय रोगों के मामले को लेकर आने वाले लोगों को वे सलाह देते हैं कि गुस्से की आदत को बदल दिया जाए। गुस्सा आने पर हृदय की गति और ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट की डिमांड बढ़ जाती है। ऐसी डिमांड का बढ़ना सबसे खतरनाक होता है। विशेष रूप से हृदय रोगियों के लिए, क्योंकि इससे कई बार एन्जाइना का अटैक भी हो सकता है इसलिए सभी को खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।

खुश रहने से मिलती अच्छी नीद और तनाव होता है कम

 आम जिदंगी में खुश रहने वाले लोगों को नींद अच्छी आती है और वे तनाव में भी कम आते हैं। ऐसे लोग तनाव के दौर से जल्द बाहर आ जाते हैं, जिनका उनके स्वास्थ्य पर अच्छा असर देखने को मिलता है। आमतौर पर लोग एक-दो हफ्ते की छुट्टी लेकर घूमने-फिरने मजा करने जाते हैं, जबकि उन्हें हर दिन खुशी के पल ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए। अगर किसी को उपन्यास पढ़ने का शौक है तो एक बार में पढ़ने की बजाय हर 15 मिनट में पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। यह बात हर शौक पर लागू होती है, जिसे करके व्यक्ति को खुशी मिलती है और उसका मूड अच्छा हो जाता है। हालांकि दिल की बीमारी को खुशमिजाज जीवनशैली से जोड़कर देखने का सीमित महत्व है।

क्या है इलाज़ ?

जीवक आयुर्वेदा अवसाद ग्रस्त मरीजों के इलाज़ के लिए अपनी त्रिस्तरीय चिकित्सा पद्धति अपनाता है जिसमे आयुर्वेदिक चिकित्सा, न्यूट्रीशन के साथ साथ योग चिकित्सा को शामिल किया जाता है । इसमें मरीज की स्थिति के अनुसार शमन-शोधन चिकित्सा, स्वस्थ आहार विहार के साथ योग क्रियाएं बताई जाती हैं ।    


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