Leucorrhoea (श्वेतप्रदर)
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सफ़ेद पानी – श्वेत प्रदर के लक्षण
सफ़ेद पानी का आना अथवा श्वेत प्रदर महिलाओ में होने वाली एक आम समस्या है जिन स्त्रीओं व नयी उम्र की युवतियों में यह रोग हो जाता है इसके कारण उनका पूरा शरीर दुबला पतला, हाथ पैरों में दर्द होते रहना, चिढ़चिढ़ापन, काम में मन नहीं लगता, योनि के आसपास खुजली होना, योनी से बदबू आना, चक्कर आना और कमर का दर्द होते रहना इस तरह के लक्षण हो सकते हैं जब किसी को श्वेत प्रदर रोग हो जाता है. सफ़ेद पानी का मासिक धर्म से पहले या बाद में आना स्वाभाविक हैं. परन्तु अगर सफ़ेद पानी ज्यादा मात्रा में आता हैं तो ये एक रोग हो सकता हैं.यह एक सामान्य प्रक्रिया हैं जो मासिक धर्म के अनुसार होती रहती हैं. अण्डोत्सर्ग के समय भी योनि में ये पानी रहता है ताकि अंडे को तैरकर जाने में मदद कर सके. ये महिला में उनके शरीर में होने वाली कमियो की वजह से भी हो सकती हैं.
सफ़ेद पानी आने के कारण:-
- अपनी योनि की साफ़ सफाई न रखने पर.
- किसी से ज्यादा घबराहट होना.
- बीमार पुरुष के साथ सम्बन्ध बनाने पर.
- बार बार अबॉरशन होने से
- हार्मोन सम्बन्धी असंतुलन।
- कब्ज और अपच।
- तीव्र खुजली के कारण घाव होना।
- भारी, तले, ठन्डे, मीठे और गाढ़े आहारों का अधिक सेवन।
- दूध, मक्खन, दही, और पनीर का अत्यधिक प्रयोग।
- यौन कार्य में अति सक्रियता।
- रक्ताल्पता और अन्य रोग, जैसे कि मधुमेह।
- मानसिक तनाव और चिंता।
इससे क्या समस्या हो सकती है?
- बेहोशी या चक्कर आना
- खाने में रुचि नहीं लगना
- बहुत कमजोरी लगना
- चिड़चिड़ापन
- महिला के योनी के भाग में खुजली होने लगती है
- पेट और कमर में दर्द की समस्या
- लड़की के योनी में बदबू आना
- शरीर का दुबला होना आदि।
इससे बचने के क्या उपाय हैं ?
- योनी की साफ-सफाई का समुचित ध्यान रखें, इसके लिए आप गुनगुने पानी में कुछ बूँद डेटॉल का डालकर साफ करें।
- सेक्स करने के बाद अपने प्राइवेट पार्ट को धोना न भूलें।
- यूरिन पास करने के बाद पानी से साफ करें।
- सेक्स के समय कंडोम क प्रयोग करें।
- अपने अंडरगारमेंट को अच्छे से साफ करें।
घरेलू उपाय (उपचार)
- खुले बर्तन में 3 कप पानी में 3 बड़ी चम्मच चावल डालकर उबालें। पानी छानकर चावल अलग कर लें। पानी में एक छोटी (चाय की) चम्मच भरकर रिफाइंड शक्कर डालें और पी लें। दिन में एक बार लें।
- एक कप पानी में धनिये के बीज रात भर भिगोकर रखें, सुबह बीज खाकर पानी पी लें। इसे एक माह तक करें।
- योनि को नियमित नीम के पानी से धोएँ।
- प्रातःकाल एक गिलास नीबू पानी अत्यंत लाभकारी होता है।
- आंवला
- आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक रोज सुबह-शाम को पीने से स्त्रियों को होने वाला श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) नष्ट हो जाता है।
- नागकेशर
- नागकेशर को 3 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ पीने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।
- केला
- 2 पके हुए केले को चीनी के साथ कुछ दिनों तक रोज खाने से स्त्रियों को होने वाला प्रदर (ल्यूकोरिया) में आराम मिलता है।
- मुलहठी
- मुलहठी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 1 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ सुबह-शाम पीने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) की बीमारी नष्ट हो जाती है।
- फिटकरी
- चौथाई चम्मच पिसी हुई फिटकरी पानी से रोजाना 3 बार फंकी लेने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग ठीक हो जाते हैं। फिटकरी पानी में मिलाकर योनि को गहराई तक सुबह-शाम धोएं और पिचकारी की सहायता से साफ करें। ककड़ी के बीजों का गर्भ 10 ग्राम और सफेद कमल की कलियां 10 ग्राम पीसकर उसमें जीरा और शक्कर मिलाकर 7 दिनों तक सेवन करने से स्त्रियों का श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) रोग मिटता है।
- गूलर
- रोजाना दिन में 3-4 बार गूलर के पके हुए फल 1-1 करके सेवन करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) के रोग में लाभ मिलता है मासिक-धर्म में खून ज्यादा जाने में पांच पके हुए गूलरों पर चीनी डालकर रोजाना खाने से लाभ मिलता है। गूलर का रस 5 से 10 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर महिलाओं को नाभि के निचले हिस्से में पूरे पेट पर लेप करने से महिलाओं के श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) के रोग में आराम आता है। 1 किलो कच्चे गूलर लेकर इसके 3 भाग कर लें। एक भाग कच्चे गूलर उबाल लें। उनको पीसकर एक चम्मच सरसों के तेल में फ्राई कर लें तथा उसकी रोटी बना लें। रात को सोते समय रोटी को नाभि के ऊपर रखकर कपड़ा बांध लें। इस प्रकार शेष 2 भाग दो दिन तक और बांधने से श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) में लाभ होता है।
- नीम
- नीम की छाल और बबूल की छाल को समान मात्रा में मोटा-मोटा कूटकर, इसके चौथाई भाग का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम को सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ मिलता है। रक्तप्रदर (खूनी प्रदर) पर 10 ग्राम नीम की छाल के साथ समान मात्रा को पीसकर 2 चम्मच शहद को मिलाकर एक दिन में 3 बार खुराक के रूप में पिलायें।
- बबूल
- बबूल की 10 ग्राम छाल को 400 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह 100 मिलीलीटर शेष बचे तो इस काढ़े को 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पीने से और इस काढ़े में थोड़ी-सी फिटकरी मिलाकर योनि में पिचकारी देने से योनिमार्ग शुद्ध होकर निरोगी बनेगा और योनि सशक्त पेशियों वाली और तंग होगी। बबूल की 10 ग्राम छाल को लेकर उसे 100 मिलीलीटर पानी में रात भर भिगोकर उस पानी को उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर बोतल में भर लें। लघुशंका के बाद इस पानी से योनि को धोने से प्रदर दूर होता है एवं योनि टाईट हो जाती है।
- मेथी
- मेथी के चूर्ण के पानी में भीगे हुए कपड़े को योनि में रखने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) नष्ट होता है। रात को 4 चम्मच पिसी हुई दाना मेथी को सफेद और साफ भीगे हुए पतले कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर अन्दर जननेन्द्रिय में रखकर सोयें। पोटली को साफ और मजबूत लम्बे धागे से बांधे जिससे वह योनि से बाहर निकाली जा सके। लगभग 4 घंटे बाद या जब भी किसी तरह का कष्ट हो, पोटली बाहर निकाल लें। इससे श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है और आराम मिलता है। मेथी-पाक या मेथी-लड्डू खाने से श्वेतप्रदर से छुटकारा मिल जाता है, शरीर हष्ट-पुष्ट बना रहता है। इससे गर्भाशय की गन्दगी को बाहर निकलने में सहायता मिलती है। गर्भाशय कमजोर होने पर योनि से पानी की तरह पतला स्राव होता है। गुड़ व मेथी का चूर्ण 1-1 चम्मच मिलाकर कुछ दिनों तक खाने से प्रदर बंद हो जाता है।