विटिलिगो/सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) अभिशाप नहीं, आटोइम्यून डिसआर्डर है
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यह एक प्रकार का त्वचारोग है। इसमें शरीर की स्वस्थ कोशिकायें प्रभावित हो जाती है। इस बिमारी का क्रम बेहद परिवर्तनीय है। कुछ रोगियो में स्थिर रहता है और कुछ रोगियो में बहुत तेजी से बढ़ता है।
जब आपके शरीर में मेलनोसाइट्स मरने लगते है, तब त्वचा पर कई सफेद धब्बे बनने शुरू हो जाते है। यह एक आटोइम्यून डिसआर्डर की वजह से होता है।
आयुर्वेद के अनुसार पित्तया वात के असंतुलन से ल्यूकोडर्मा की समस्या होती है। जीवक आयुर्वेदा में पंचकर्म के माध्यम से बाँडी को डिटाक्सीफाई किया जाता है। इसके आलावा बाकुची वीज, खदिर, दारुहरिद्रा, करंज, आरग्यवध (अमलतास) आदि एवं गंधक रसायन,रस माणिक्य मजिष्ठादि क्वाथ, माणिक्य खदिर व त्रिफला बहुत प्रभावी है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा दिया जाता है। औषधियाँ व आइटमेंट दोनों उपलब्ध है। तीन महीने में परिणाम दिखने लगता है। रोगी को कापर के बर्तन में 8 घंटा पानी को रखने के बाद पीना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मटर, लौकी, सोयाबिन दाल ज्यादा खाना चाहिये। हर रोज एक कटोरी भीगे काले चने व 3/4 बादाम व गिलोय व एलोविरा जूसतुलसी व मूली के बीज बहुत उपयोगी है। खट्टी चीजे (साइट्रस फ्रूट्रस) दही, लस्सी, मैदा, गोभी, उरद दाल, नानवेज व फास्ट फूड, साफ्ट ड्रिंक्स कम मात्रा मे खाये लम्बे समय तक तेज गर्मी व एक्सपोजर से बचना चाहिये।
शरीर के किसी हिस्से में सफेद दाग के लक्षण दिखाई देने पर आप जीवक आयुर्वेदा के हेल्पलाइन 7704996699 पर सम्पर्क कर सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं!