मल बद्धता (constipation)- आयुर्वेदीय विचार व चिकित्सा!

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मल बद्धता (constipation)- आयुर्वेदीय विचार व चिकित्सा!

रोगी जब आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास मलबद्धता (constipation) की शिकायत लेकर आता है तो 90% चिकित्सक रोगी को वतनलोमक या रेचन औषधि देते है। आप सभी इससे सहमत होंगे, परंतु क्या यह उचित चिकित्सा है ? ऐसे उपचार से शुरू में कुछ रोगियों में लाभ भी देखने को मिलता है, परंतु कुछ समय में रोगी फिर से वही परेशानी लेकर या तो आपके पास दोबारा आता है या फिर से allopathic laxative या फिर मार्केट में उपलब्ध विरेचक कल्प इत्यादि लेना शुरू कर देता है। क्या आपने कभी विचार किया है की छोटी सी दिखने वाली इस समस्या का उपचार इतना कठिन क्यों है, अथवा यह रोगी को सालो तक क्यों सत्ताती रहती है। आइए इस विषय में कुछ तथ्यो पर विचार करे।
मल, पाचन-तंत्र का सबसे आख़िरी उत्पाद होता है। मल की प्रकृति इस बात पर निर्भर करती है की किस प्रकार का आहार आप लेते है, किस समय पर लेते है तथा, किस मानसिक भाव से लेते है। आहार में क्या खाए क्या ना खाएँ इसकी जानकारी आयुर्वेद में विस्तार पूर्वक आयी है, इसलिए उसका अध्ययन करे और वैसे ही रोगी को भी निर्देश दे। दूसरा पड़ाव है की आहार काल को फ़िक्स करना। तीसरा की आहार कारते समय पूर्ण ध्यान आहार पर रहे ना की अन्य कही और। क्योंकि स्रोतस का निर्माण तथा उसकी सेहत उन्मे बहाने वाले द्रव्यों पर ही निर्भर होती है, वैसे ही इन नियमो का पालन कर आहार का पाचन ठीक होता है तथा मल ठीक बनता है । अब इस मल को बाहर निकालने के लिए जिस अपान वायु की ज़रूरत रहती है वह तभी ठीक रहेगी जब रोगी मल विसर्जन सुबह वात के काल (सुबह 2-6 बजे ) में करे। यही कारण है की सुबह जितने जल्दी उठा जाए उतना ही असानी से मल त्याग होता है।

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Constipation एक आम समस्या, क्या है उपचार?

कब्ज़ क्या है:

कब्ज पाचन संस्था की एक आम बिमारी है जो किसी भी उम्र की व्यक्ति को हो सकती है। कब्ज के लक्षण, कब्ज होने के साधारण लक्षण हैं पेट फूलना, एसिडिटी, भूक न लगना, साँसों में बदबू, सरदर्द, मुंहासे और मुह के छाले। कब्ज होने के प्रमुख कारण हैं अनियमित आहार, बहुत कम पानी पीना,पेट के मांसपेशियों की कमजोरी, कोई कसरत न करना, तनाव और कुछ किस्म की दवाइयां।

कब्ज एक ऐसी स्थिति है जिसमे व्यक्ति का पेट ठीक से साफ नहीं होता है और मल त्याग करते समय कष्ट भी होता है। कब्ज से पीड़ित व्यक्ति आम लोगों की तुलना में कम बार शौच करता है। जहाँ आम तौर पर लोग दिन में कम से कम एक बार शौच करते हैं वहीँ  कांस्टीपेशन का मरीज ३ या उससे भी ज्यादा दिनों तक मॉल त्याग नहीं कर पाता। इस कारण से उसका पेट भार-भारी रहता है और भोजन में भी अरुचि हो जाती है। कब्ज के कारण कुछ लोगों को उल्टी भी हो जाती है और सर में दर्द भी बना रहता है।

लक्षण :

  • ठीक से मल त्याग ना होना या पेट ना साफ़ होना
  • मल त्याग करने में तकलीफ होना
  • स्टूल (टट्टी/मल) का बहुत हार्ड और कम मात्रा में होना
  • बार-बार ऐसा लगना कि अभी थोड़ा और मल त्याग करना चाहिए
  • पेट में सूजन या दर्द होना
  • उल्टी होना
  • रोगी का सर भारी रहता है
  • मल का सख्त जाना
  • मल का रंग काला व् बहुत ही दुर्गंधित होता है
  • धीरे-धीरे पेट मैं गैस का बनना।भूक का बहुत ही कम लगना
  • शरीर में कमजोरी का आ जाना
  • आलस व् चिडचिडा पन का बढ़ जाना
  • सासों की बदबू
  • जी मिचलाना
  • पेट में लगातार परिपूर्णता

कब्ज (Constipation) के कारण ?

कब्ज रोग होने की असली वजह भोजन का ठीक प्रकार से न पचना होता है। जो की कई चीजों पर निर्भर करता हैं जैसे की गरिष्ठ भोजन करना (देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन), भोजन चबा-चबाकर न करना अर्थात् जल्दबाजी में भोजन करना खाना खाते समय अधिक जल ग्रहण करना आदि हैं अगर आप निश्चित मात्रा से कम पानी का सेवन करते हैं तो आप कब्ज से ग्रसित हो सकते है सुबह खाली पेट एवं दिनभर पानी पीते रहने से आंतों में जमा मल निकलने में आसानी होती है, जिससे पेट पूरी तरह से साफ होता है।

रोकथाम:

  • फल, सब्जियां, साबुत अनाज: इनमे तंतु होने के कारण यह पाचन में मदद करते हैं। सब्जियों के पत्तों में, फलों के छिलकों में और सब्जियों में तंतु पाए जाते हैं। सेब को बिना छिले ही खाएं। हरी सब्जियां तंतु के साथ शरीर को अवाश्यक मैग्नीशियम खनिज दिलाती हैं।
  • सूखे आलूबुखारे: सूखे आलूबुखारे रेचक की तरह काम करते हैं। अंतड़ियों को उत्तेजित करके मल को बाहर निकालने में आलूबुखारे काम करते हैं।
  • कॉफ़ी और अन्य गरम पेय: कॉफ़ी से शरीर को कोई स्वास्थय लाभ नहीं होता पर यह शरीर को तनाव से मुक्ति देता है। कॉफ़ी पिने से कब्ज से छुटकारा मिलता है।
  • पानी: तंतु का काम सफल होने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। अगर हम पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं लेंगे तो यह पानी शरीर के मल से खिंचा जाता है और मल शरीर से निकलना मुश्किल होता है।
  • अलसी के बीज: बड़ी मात्रा में तंतु होने के कारण अलसी के बीज पाचन में मदद करते हैं। रात में सोने से पहले 1 गिलास गरम दूध में अलसी के बीज मिलाकर पियें। अलसी के बीज सुबह भी खाए जा सकते हैं।
  • नींबू– कब्ज का घरेलू इलाज, कब्ज से छुटकारा पाने के लिए सबसे गुणकारी है। सुबह खाली पेट एक गिलास गरम पानी में नींबू का रस, एक चुटकी नमक और थोडा शहद मिलाकर पियें।
  • सौंफ– अपचन, पेट फूलना और कब्ज से राहत दिलाता है। सौंफ को भुनकर पिस लें। रोज आधा चम्मच सौंफ की पाउडर पानी में मिलाकर पियें।
  • अंजीर– कब्ज का घरेलू इलाज, प्राकृतिक रूप में रेचक का काम करता है। ताजे और सूखे अंजीर खाए जा सकते हैं। 2 या 3 बादाम पानी और सूखे अंजीर थोड़ी देर के लिए पानी में भिगोयें। बादाम छीलकर अंजीर के साथ पिस लें। यह पेस्ट रात में 1 बड़े चम्मच शहद के साथ लें।
  • शहदसौम्य रेचक है। दिन में 3 बार 2 बड़े चम्मच शहद लें।
  • अंगूरमें तंतु होते हैं जो पेट साफ़ रखते हैं। रोज 15-20 अंगूर खाएं।
  • पालक कब्ज का घरेलू इलाज, कब्ज के लिए उपयुक्त सब्जी है। पालक में कई घटक हैं जो पाचन संस्था सुधार देते हैं।
  • गुडका रस सर्वोत्तम प्राकृतिक रेचक है। 1 चम्मच गुड का रस रात में सोने से पहले दूध या फल के रस में मिलाकर लें।
  • मेथी के बीज में तंतु होते हैं जो रेचक का काम करते हैं।
  • दही में अच्छे कीटाणु होते हैं जो पाचन सुधारते हैं।
  • आमला की पाउडर– कब्ज की आयुर्वेदिक दवा, 1 गिलास गरम पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट या रात में सोने से पहले लें।
  • गरम दूध में 1 चम्मच घी मिलाकर रात में सोने से पहले पिने से कब्ज से आसानी से राहत मिलती है।

प्राणायाम करें :

सुबह-सुबह थोड़ी-थोड़ी सेर कराएँ और और प्राणायाम कराएँ जैसे अनुलोम-बिलोम,  कपालभाती इन दोनों प्राणायाम को करने से कोई भी बीमारी पास नहीं आ सकती और अगर कोई बीमारी है तो वो भी जल्द ही ठीक हो जाएगी।ayurv


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