स्प्लीनोमेगाली (Splenomegaly) यानी तिल्ली का असामान्य रूप से बढ़ जाना। आयुर्वेद में इसे “प्लीहा वृद्धि” कहा जाता है। यह समस्या पाचन तंत्र की खराबी, संक्रमण, या रक्त विकारों के कारण हो सकती है।
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🌿 आयुर्वेदिक उपचार:
1. पुनर्नवा (Punarnava):
•यह एक प्रमुख हर्ब है जो सूजन कम करने और लिवर-स्प्लीन विकारों में लाभकारी है।
•सेवन विधि: पुनर्नवा चूर्ण या काढ़ा दिन में 2 बार गर्म पानी के साथ।
2. त्रिफला (Triphala):
•पाचन सुधारता है और शरीर को डिटॉक्स करता है।
•सेवन विधि: रात को सोने से पहले 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ।
3. भृंगराज (Bhringraj):
•यह लिवर और तिल्ली के लिए फायदेमंद है।
•सेवन विधि: भृंगराज रस 10-15 ml सुबह खाली पेट लें।
4. कुमारी (एलोवेरा – Aloe Vera):
•तिल्ली को शांत करता है और सूजन कम करता है।
•सेवन विधि: कुमारी रस (10-20 ml) रोज सुबह खाली पेट लें।
5. आरोग्यवर्धिनी वटी:
•यह आयुर्वेदिक टैबलेट लीवर और स्प्लीन की कार्यक्षमता को बढ़ाती है।
•सेवन विधि: डॉक्टर की सलाह अनुसार 1-2 गोली दिन में 2 बार।
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🥗 आहार और जीवनशैली सुझाव:
•वर्जित खाद्य पदार्थ: तला हुआ, मसालेदार, अधिक तैलीय भोजन, शराब।
•फायदेमंद आहार: मूंग की दाल, पकी हुई सब्ज़ियाँ, बेल का शर्बत, नारियल पानी।
•हल्का, सुपाच्य भोजन करें।
•योग और प्राणायाम करें – विशेषकर अनुलोम विलोम और कपालभाति।
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⚠️ जरूरी सलाह:
•किसी भी आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने से पहले योग्य वैद्य या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें। अधिक जानकारी के लिए हेल्पलाइन
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