कैसंर का मतलब कोशिकाओं का असमान्य रुप से बढ़ना है। आमतौर पर शरीर की कोशिकायें नियन्त्रित रुप से बढ़ती है और विभाजित होती है। हमारे शरीर में प्रत्येक दिन कुछ नये सेल बनते है और कुछ सेल मर जाते है। और उसकी जगह पर स्वस्थ कोशिकाये आ जाती है। यह प्रक्रिया हमारे शरीर में निरन्तर चलती है।
प्रत्येक कोशिका ऐसे जीन्स से नियन्त्रित होती है जो कोशिकाओं को निर्देश देते है, उन्हे कैसे काम करना है, कब विभाजित होना है, कब बढ़ना है। कैसंर शरीर की अपनी ही कोशिकाओं से विकसित होता है। किसी एक कोशिका के जीन्स के भीतर बदलाव के कारण ही अनुवांशिक बदलाव या म्यूटेशन (कोशिकाओ का लगातार विभाजन) शुरु हो जाता है। बच्चो मे होने वाले कैसंर ज्यादातर मामले जीन्स मे आने वाली तब्दीली का नतीजा है। जब कैसंर एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैलता है तो इसे मेटास्टैसिस कहते है।
जीवक आयुर्वेदा अपनी रस-रसायन औषधियों से कैंसर सेल्स मे होने वाले म्यूटेशन के कारण को दूर करता है। जिसकी वजह से ग्रोथ बढ़ने की प्रक्रिया व मेटास्टैसिस की प्रक्रिया पूरी तरह से रुक जाती है, फिर उस गाँठ को पूरी तरह से धीरे-धीरे खत्म कर दिया जाता हैएवंमरीज के रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी साथ में बढ़ा दिया जाता है , ताकि मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो सके।
कैंसर (अर्बुद) आज एक भयावह बीमरी के रूप में बढ़ रहा है हमारे आहार विहार का प्रभाव सीधा हमारे शरीर पर पड़ता है जिसके कारण हमें बड़ी बिमारियों का सामना करना पड़ता है। कैंसर (अर्बुद) क्या है कैसे होता है बता रहें है जीवक आयुर्वेदा के निदेशक टी के श्रीवास्तव।
कैंसर (अर्बुद) उन असामान्य कोशिकाओं के कारण होता है जो तेज़ी से बढ़ती हैं। आपके शरीर के लिए यह असामान्य बात है कि वह पुरानी कोशिकाओं को नई कोशिकायों से बदले, पर कैंसर की कोशिकाएँ बहुत अधिक तेज़ी से बढ़ती हैं।
कुछ कैंसर कोशिकाएँ वृद्धियाँ उत्पन्न कर सकती हैं जिन्हें अर्बुद (ट्यूमर) कहा जाता है। सभी अर्बुद आकार में बढ़ते हैं पर कुछ अर्बुद तेज़ी से बढ़ते हैं, जब कि अन्य धीमी गति से बढ़ते हैं।
अर्बुदों के प्रकार
कई बार अर्बुद कैंसरकारी नहीं होते हैं इन्हें अहानिकर अर्बुद कहा जाता है वे काफी हद तक स्वस्थ ऊतकों की कोशिकाओं जैसी कोशिकाओं से बने होते हैं। इस प्रकार का अर्बुद एक ही जगह स्थिर रहता है और वह स्वस्थ ऊतकों और अंगों में नहीं फैलता।
कैंसर के अर्बुदों को हानिकारक (मेलिग्नंट) ट्यूमर भी हानिकारक (मेलिग्नंट) कहा जाता है। इन अर्बुदों से कैंसर रक्त और लसीका (लिम्फ) प्रणालियों के माध्यम से शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है।
जब कैंसर फैलता है, तो इसे रोग व्याप्ति (मेटास्टासिस) याप्ति (मेटास्टासिस) कहा जाता है। कैंसर की कोशिकाएँ ट्यूमर से, जिसे प्राथमिक जगह कहा जाता है, रक्त या लसीका प्रणाली के जरिये शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं।
कैंसर के प्रकार
कैंसर के कई प्रकार हैं। कार्सिनोमा कैंसर का सबसे आम प्रकार है। फेफड़े, आंत, स्तन और डिंब ग्रंथियों के कैंसर आमतौर पर
इस प्रकार के कैंसर होते हैं। सारकोमा अस्थि, उपास्थि, वसा और मांसपेशी में पाया जाता है। लिम्फोमा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिम्फ नोडों में आरम्भ होता है। इनमें हाॅजकिन्स और गैर-हाॅजकिन्स लिम्फोमा सम्मिलित होते हैं। ल्यूकेमिया उन रक्त कोशिकाओं में आरम्भ होता है जिनका अस्थि मज्जा में विकास होता है और जो
रक्तप्रवाह में बड़ी संख्या में पाई जाती हैं।
कैंसर के लक्षण
कैंसर के लक्षण अर्बुद के प्रकार और स्थान पर निर्भर होते हैं। हो सकता है कि कुछ कैंसरों में तब तक कोई लक्षण न हों, जब तक कि ट्यूमर बड़ा न हो जाए। आम लक्षणों में निम्नलिखित लक्षण सम्मिलित हैंः
अत्यधिक थकान अनुभव करना
अज्ञात कारण से वज़न में कमी होना
बुखार, कँपकँपी या रात मे पसीना आना
भूख में कमी
शारीरिक कष्ट या दर्द
खांसी, साँस फूलना या सीने में दर्द
हैज़ा, कब्ज़ या मल में रक्त
जब किसी कैंसर का पता लगेगा, तब इस बात की जाँच करने के लिए परीक्षण किए जाएंँगे कि क्या कैंसर शरीर के अन्य अंगों में फैल गया है। स्कैनों, एक्स-रे और रक्त के परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
आपकी देखभाल
आपका चिकित्सक निम्नलिखित के आधार पर इस बातका निर्णय करेगा कि आपको किस प्रकार के देखभाल की आवश्यकता हैः
कैंसर का प्रकार
कैंसर कितनी तेज़ी से बढ़ रहा है
क्या कैंसर शरीर के अन्य अंगों में फैल गया है
आपकी आयु और समग्रता में आपका स्वास्थ्य
कैंसर के सबसे आम उपचार निम्नलिखित हैंः
ट्यूमर और इसके पास के ऊतक को हटाने के लिए शल्यचिकित्सा (सर्जरी)
ट्यूमर और कैंसर की कोशिकाओं को सिकोड़ने या नष्ट करने के लिए नियंत्रित मात्राओं में विकिरण (रेडिएशन)
कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा करने या नष्ट करने के लिए रसायनचिकित्सा (कीमोथेरेपी) दवा
लेकिन यह तीनो उपचार मरीजों के लिए नुकसानदायक है । ऑपरेशन के बाद कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने की प्रक्रिया और तेज हो जाती है, उसके बाद रेडीएशन एवं कीमोथेरेपी के लिए सलाह दी जाती है, लेकिन रेडीएशन एवं कीमोथेरेपी की वजह से कैसर कोशिकाओं के साथ अच्छी कोशिकाओं को भी डैमेज करता है जिसकी वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों से फेल जाती है और बाद में मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है।
आयुर्वेद में कैंसर का उपचार
आयुर्वेद द्वारा कैंसर का उपचार पूरी तरह सम्भव है। आयुर्वेद की रस-रसायन चिकित्सा द्वारा कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने की प्रक्रिया व मेतास्टासिस की प्रक्रिया को पूरी तरह रोका जा सकता है।आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है और न ही शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटती है।कमी है विश्वास की आयुर्वेद पर, अभी भी लोगों का भरोसा नहीं है कि जटिल रोगों का इलाज आयुर्वेद द्वारा हो सकता है। आयुर्वेद में कैंसर का इलाज पुरी तरह सम्भव है । 4th stage के भी कैंसर आयुर्वेद के द्वारा ठीक होते देखे गए हैं।
I was Visited at Jivak Ayurveda for dengue on 26th August 2016. From day one I have been taken good care of by the Jivak team. I felt like I was treated by my own family. I was also very happy about a patient care attendant who gave me a sponge bath and also came to talk to me when ever possible to reduce my dengue anxiety. He even noticed the small red spots on my back and reported to the nurse. It was very nice to see so much compassion. Hats off to all of you. I made it a point to take the na… Read more
I felt like I was treated by my own family
Dear Mr. T K Srivastava,
This is to thank you and the entire team at Jivak Ayurveda for the care taken towards my mother during her pain cancer.
She is now back home.
Dr. Tiwari and his entire team was exceptional in assisting her recovery in every possible way without which her turnaround would have perhaps been difficult.
I must also bring to your notice that your hospital has an outstanding nursing team. Even in the crisis, the team kept my mother smiling. Do convey my personal gratitude to a… Read more
Thanks "Jivak" to give me a new hope of Life
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