वर्ल्ड किडनी डे 2019: ऐसे रखें किडनी का ख्याल

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वर्ल्ड किडनी डे 2019: ऐसे रखें किडनी का ख्याल

Category : Blog

हमारी दोनों किडनियां एक मिनट में 1200 मिलिलीटर रक्त का शोधन करती हैं। ये शरीर से दूषित पदार्थो को भी बाहर निकालती हैं। इस अंग की क्रिया बाधित होने पर विषैले पदार्थ बाहर नहीं आ पाते और स्थिति जानलेवा होने लगती है जिसे गुर्दो का फेल होना (किडनी फेल्योर) कहते हैं। इस समस्या के दो कारण हैं, एक्यूट किडनी फेल्योर व क्रॉनिक किडनी फेल्योर। किडनी की समस्या के बारे में जानने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि हमारी किडनी हमारे लिए क्या क्या करती है। इस बारे में जानकारी दे रहे हैं जीवक आयुर्वेदा के निदेशक टी के श्रीवास्तव ….

1. गुर्दे (Kidney) की रचना जितनी अटपटी है उसके कार्य उतने ही जटिल हैं। हानिकारक अपशिष्ट उत्पादों और विषैले कचरे को शरीर से बाहर निकालना और शरीर में पानी, तरल पदार्थ, खनिजों आदि का नियमन करना।

2. गुर्दे शरीर में फिल्टर का कार्य करते हैं और दूषित रक्त और दूषित विषाक्त को शरीर से बाहर निकालते हैं, इसलिए इन्हें शरीर का प्राकृतिक फिल्टर भी कहा जाता है।

3. शरीर का लगभग 20-25 प्रतिशत रक्त गुर्दे (किडनी) से पम्प होकर दिल और मस्तिष्क में जाता है।
4. गुर्दे की लम्बाई लगभग 12 से.मी. तक होती है। गुर्दे का वजन लगभग 140 ग्राम तक होता है।

5. खून को साफ करके पेशाब (Urine) बनाने का कार्य करने वाले गुर्दे की सबसे छोटी एवं बारीक छन्नी जिसे नेफ्रोन (Nephron) कहते हैं। प्रत्येक गुर्दे में लगभग दस लाख नेफ्रोन होते हैं।
 
6. प्रत्येक नेफ्रोन के मुख्य दो हिस्से होते हैं पहला ग्लोमेरुलस (Glomerulus) और दूसरा ट्यूब्यूल्स (Tubules)। इसमें ग्लोमेरुलस (रक्त वाहिनियों का गुच्छा) फ़िल्टर का काम करता है और सर्पाकार ट्यूब्यूल्स आर.ओ. का काम करती है, जो घुले हुए अनावश्यक लवणों को हटा देती हैं।

7. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की ग्लोमेरुलस के नाम से जानी जानेवाली छन्नी प्रत्येक मिनट में लगभग 125 मि.ली. प्रवाही बनाकर प्रथम चरण में 24 घंटों में 180 लीटर पेशाब (Urine) बनाती है। इस 180 लीटर पेशाब (Urine) में अनावश्यक पदार्थ, क्षार और जहरीले पदार्थ भी होते हैं। साथ ही इसमें शरीर के लिए उपयोगी ग्लूकोज तथा अन्य पदार्थ भी होते हैं।

8. ग्लोमेरुलस में बननेवाला 180 लीटर पेशाब (Urine) ट्यूब्यूल्स में आता है, जहाँ उसमें से 99 प्रतिशत द्रव का अवशोषण हो जाता है।

9. गुर्दे जरूरी पदार्थों को रख कर अनावश्यक पदार्थों को पेशाब द्वारा बाहर निकालते हैं जो एक अनोखी, अद्‍भुत तथा जटिल प्रक्रिया है।

10. शरीर में जो सात लीटर पानी होता है, उसकी प्रतिदिन करीब 400 बार छनाई और सफाई होती है।

11. क्या आप जानते हैं कि शरीर के दोनों गुर्दों में प्रति मिनट 1200 मि.ली. लीटर खून स्वच्छ होने के लिए आता है जो हृदय द्वारा शरीर में पहुँचनेवाले समस्त खून के लगभग बीस प्रतिशत के बराबर है। इस तरह 24 घंटे में अनुमानत: 1700 लीटर खून का शुद्धीकरण होता है।

12. गुर्दा मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। गुर्दे की खराबी, किसी गंभीर बीमारी या मौत का कारण भी बन सकती है।

13. दुनिया में लगभग 500 मिलियन लोग गुर्दे की बीमारियों से ग्रसित हैं।

14. दोनों गुर्दे खराब होने पर व्यक्ति 1 गुर्दा ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) से सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी सकता है।

15. क्या आप को मालूम है कि पेशाब (Urine) की मात्रा में अत्यंत कमी या वृद्धि गुर्दे के रोग का संकेत है।


अब समझते हैं किडनी की गंभीर बीमारी के बारे में ..


क्रॉनिक किडनी फेल्योर
शुरूआत में इस रोग के लक्षण स्पष्ट नहीं होते लेकिन धीरे-धीरे थकान, सुस्ती व सिरदर्द आदि होने लगते हैं। कई मरीजों में पैर व मांसपेशियों में खिंचाव, हाथ-पैरों में सुन्नता और दर्द होता है। उल्टी, जी-मिचलाना व मुंह का स्वाद खराब होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :
इस रोग में किडनी की छनन-यूनिट (नेफ्रॉन्स) में सूजन आ जाती है और ये नष्ट हो जाती है। डायबिटीज व उच्च रक्तचाप से भी किडनी प्रभावित होती है। पॉलीसिस्टिक किडनी यानी गांठें होना, चोट, क्रॉनिक डिजीज, किडनी में सूजन व संक्रमण, एक किडनी शरीर से निकाल देना, हार्ट अटैक, शरीर के किसी अन्य अंग की प्रक्रिया में बाधा, डिहाइड्रेशन या प्रेग्नेंसी की अन्य गड़बडियां
इसका कारण हो सकती हैं ।
लक्षण : पेशाब कम आना, शरीर विशेषकर चेहरे पर सूजन, त्वचा में खुजली, वजन बढ़ना, उल्टी व सांस से दुर्गध आने जैसे लक्षण हो सकते हैं।

आयुर्वेद में इलाज:
आयुर्वेद में दोनों किडनियों, मूत्रवाहिनियों और मूत्राशय इत्यादि अवयवों को मूत्रवह स्रोत का नाम दिया गया है। पेशाब की इच्छा होने पर भी मूत्र त्याग नहीं करना और खानपान जारी रखना व किडनी में चोट लगना जैसे रोगों को आयुर्वेद में मूत्रक्षय एवं मूत्राघात नाम से जाना जाता है। आयुर्वेदिक के अनुसार रूक्ष प्रकृति व विभिन्न रोगों से कमजोर हुए व्यक्ति के मूत्रवह में पित्त और वायु दोष होकर मूत्र का क्षय कर देते हैं जिससे रोगी को पीड़ा व जलन होने लगती है, यही रोग मूत्रक्षय है। इसमें मूत्र बनना कम या बंद हो जाता है।

क्या है उपाय :
इस तरह की समस्या होने पर यह उपाय अपनाएं, तनाव न लें। नियमित अनुलोम-विलोम व प्राणायाम का अभ्यास करें। ब्लड प्रेशर बढ़ने पर नमक, इमली, अमचूर, लस्सी, चाय, कॉफी, तली-भुनी चीजें, गरिष्ठ आहार, अत्यधिक परिश्रम, अधिक मात्रा में कसैले खाद्य-पदार्थ खाने, धूप में रहने और चिंता से बचें। काला नमक खाएं, इससे रक्त संचार में अवरोध दूर होता है। किडनी खराब हो तो ऎसे खाद्य-पदार्थ न खाएं, जिनमें नमक व फॉस्फोरस की मात्रा कम हो। पोटेशियम की मात्रा भी नियंत्रित होनी चाहिए। ऎसे में केला फायदेमंद होता है। इसमें कम मात्रा में प्रोटीन होता है।
तरल चीजें सीमित मात्रा में ही लें। उबली सब्जियां खाएं व मिर्च-मसालों से परहेज करें।

औषधियां: आयुर्वेदिक औषधियों पुनर्नवा मंडूर, गोक्षुरादी गुग्गुलु, चंद्रप्रभावटी, श्वेत पर्पटी, गिलोय सत्व, मुक्ता पिष्टी, मुक्तापंचामृत रस, वायविडंग इत्यादि का सेवन विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। नियमित रूप से एलोवेरा, ज्वारे व गिलोय का जूस पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।

कैसी हो डाइट : गाजर, तुरई, टिंडे, ककड़ी, अंगूर, तरबूज, अनानास, नारियल पानी, गन्ने का रस व सेब खाएं लेकिन डायबिटीज है तो गन्ने का रस न पिएं। इन चीजों से पेशाब खुलकर आता है। मौसमी, संतरा, किन्नू, कीवी, खरबूजा, आंवला और पपीते खा सकते हैं। रात को तांबे के बर्तन में रखा पानी सुबह पिएं। सिरम क्रेटनीन व यूरिक एसिड बढ़ने पर रोगी प्रोटीन युक्त पदार्थ जैसे मांस, सूखे हुए मटर, हरे मटर, फै्रंचबीन, बैंगन, मसूर, उड़द, चना, बेसन, अरबी, कुलथी की दाल, राजमा, कांजी व शराब आदि से परहेज करें। नमक, सेंधा नमक, टमाटर, कालीमिर्च व नींबू का प्रयोग कम से कम करें। इस रोग में चैरी, अनानास व आलू खाना लाभकारी होता है।

डॉक्टर से लें सलाह : किडनी से सम्बंधित किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर या कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लें । जीवक आयुर्वेदा के हेल्पलाइन नम्बर 7704996699 पर निःशुल्क परामर्श ले सकते हैं ।


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