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जोड़ो का दर्द और आयुर्वेद

जोड़ो का दर्द एक आम समस्या बन गए है! मल्टीविटामिन,मिनरल और कैल्शियम की कमी से शरीर की मांसपेशियों और हड्डियोंमें दर्द हो सकता है!बढ़ता वजन भी कारण है सर्दियों में ये समस्या और बढ़ जाती हैं। बढ़ते हुए वजनऔर चोट लगने की वजह से कार्टिलेज घिसजाती है, कार्टिलेज के डैमेजहोने और दर्द के साथघुटनोमें दर्द होने की स्थितिको osteoarthritis कहतेहै।घुटने में दर्द,सुजन,जकड़न,चलने ,उठने बैठने के परेशानी आयुर्वेदिक इलाज इस परस्थिति में लाभकारी साबित होता है, दवाओं डाइटऔर पंचकर्म द्वाराइस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।जीवक आयुर्वेदा की दवाओं से कार्टिलेज धीरे धीरे रिपेयर होने लगती है , जिसकी वजह से मरीज़ को घुटने के दर्द और सुजन में पूरी तरह आराम मिल जाता हैं। मरीज़ पहले की तरह आराम से चल फिर सकता है।जिन मरीजों में प्रोब्लम पुरानी होती है उनको पंचकर्म चिकित्सा की सलाह दी जाती है, बहुत अच्छा परिणाम मिलता है।

कुछ घरेलू उपाय:

  1. गरम पानी में सेंधा नमक डाल के उस पानी सेदर्द की जगह की सिकाई करें!
  2. सरसो के तेल में लहसन पका के उस तेल से मालिश करें!
  3. हल्दी मेथीऔर सोंठ को समान मात्रा में लेकरपावडरबना ले,सुबह शाम सेवन करें।
  4. रोजाना 2से3 लहसन की कालिया खाली पेट सेवन करें!
  5. रोज सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करें!
  6. मूंग दाल अपने डाइट में शामिल करे!
  7. सब्जियां जैसे सहजन और परवल खाएं!

जीवक आयुर्वेदा: 7704996699


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कैसा हो कैंसर के मरीज का खान-पान

कैंसर सुनते ही लोग डर जाते है, ये बीमारी हमे शारीरिक और मानसिक दोनो तरीके से कमजोर बना देती है! कैंसर का पता चलते ही अगर इलाज शुरू किया जाए तो उतनी ही ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है,इस केलिए हमे इलाज के साथ साथ अपनी डाइटपर भी ध्यान दे तो और जल्दी इस बीमारी को मात दे सकते है शरीर को कमजोर होने से बचाया जा सकता है इसलिए इलाज के दौरान हाई प्रोटीनफाइबर युक्त भोजन का सेवन करे !

विटामिन ,प्रोटीन और मिनरल युक्त आहार ले!

इसके लिए मछली, अंडे,कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट, नट बटर, सूखे बीज और मेवे, मटर और मसूर की दाल, सोयाबीन , साबुतअनाजका सेवन कर सकते है।आप अपनी डाइट में कुछ खास सब्जियों को जरूर (Anti cancer foods) शामिल करें। गाजर, कद्दू, टमाटर, मटर, शलजम आदि सब्जियों को जरूर खाएं। इसके अलावा ब्रोकली, पत्तागोभी, फूलगोभी , शिमला मिर्च खासकते हैं। इन सभी सब्जियों मेंग्लूकोसेनोलेटनामकरसायन हैजो सुरक्षात्मक एंजाइम देते हैं, जो खराब एस्ट्रोजन को अच्छे एस्ट्रोजन में तब्दील कर देते हैं। इससे कैंसर के दोबारा होने की संभावना कम हो जाती है।

जामुन, खरबूजा, केला, अनानास, नाशपाती नारियल पानीआदिब्लूबेरी में कई फाइटोकेमिकल्स और पोषक तत्व होते हैं, जो कैंसर विरोधी है स्ट्रॉबेरी, आड़ू, कीवी, संतरा, आमजैसे फलों का सेवन करना चाहिए। ये सभी विटामिन और फाइबर से भरपूर होते हैं। साथ ही अमरूद, एवोकाडो, अंजीर, खुबानी भी शरीर की खोई हुई एनर्जी को वापस पाने के लिए खा सकते हैं। शुगर और कैबोहाइड्रेट्स का सेवन न करें।ऑयली और स्पाइसी खाने का सेवन न करें।

ग्रीन टी का सेवन लाभकारी।

पानी खूब पिए,ताजे नींबू का रस लीजिए,ये आपके शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ विटामिन भी देता हैं। हल्दी में मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन,विटामिन b6, ओमेगा 3, ओमेगा 6, फैटी एसिड और एंटीसेप्टिक गुण होते है। कैंसर से बचाने में हल्दी काफी कारगर है।

जीवक आयुर्वेदा:  7704996699


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आयुर्वेद में है लीवर रोग की चिकित्सा

लीवर शरीरको फिट रखने केलिए इंजन का काम करता है क्योंकि हम जो भी खाघ पदार्थ एवं पेय पदार्थों का सेवन करते है,उसे डायजेस्ट करने में लीवर की अहम भूमिका होतीहैं।

लीवर की बीमारी का सबसे पहला कारण इंफेक्शन होना,

जैसे अत्यधिक ऑयली, स्पाइसी, अल्कोहलया नशीली पदार्थका सेवन करना,

शुगर रोग या कब्ज की परेशानी में भी लीवर में इंफेक्शन होता है।

लीवर रोग का आयुर्वेदिक उपचार कर के लीवर को स्वस्थ बनाया जा सकता है

पंचकर्म में विरेचन कर्म से लीवर की क्लींजिंग की जाती है।

रोजाना अपने खाने में हरी सब्जियां और फल शामिल करें,

हाई फाइबर डाइट ले,

नमक का इस्तेमाल ज्यादा नाकरें,

अपनी diet मेंलहसुन, कड़ी पत्ता शामिल करें,

गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।

फैटी लीवर को इग्नोर मत कीजिए, लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है।

जीवक आयुर्वेदा लीवर के किसी भी प्रकार के रोग को अपनी रस रसायन मेडिसिन से पूरी तरह ठीक कर सकता है। रोगी को यह की चिकित्सा से तत्काल लाभ दिखाई देता है।

रोग को ज्यादा न बढ़ने दे,घर पर इलाज न करें।

जीवकआयुर्वेदा: 7704996699


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आखिर क्यों होता है कैंसर !

हमारा शरीर अनगिनतसेल्स से बना हुआ है हमारेशरीर में लगातार सेल्स काडिवीजनहोता रहता है।जो सामान्यहै ,जब शरीर के किसी विशेष अंग की कोशिकाओं का नियंत्रण बिगड़ जाता है तब कोशिकाएं अनगिनत तरीके सेबढ़ने लगती है।

जब मानव शरीर में जीनलेवलमेंपरिवर्तनहोने लगता है तब कैंसर की शुरुआत होती हैं।.

गुटखा,तम्बाकू या शराब जैसी नशीलेपदार्थ का सेवन करने से भी कैंसर होता है।

कैंसर शरीर में रोग प्रतिरोधकक्षमताको समाप्तकर देता है या कैंसर सैल्सको इम्यूनसिस्टमझेलनहीं पाताहै तब लक्षण नजर आने लगते है।वक्त पर इलाज न कराया जाए तो ये पूरे शरीरमें फैलजाता है।

जीवकआयुर्वेदा:  7704996699


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डायबिटीज का आयुर्वेदिक इलाज़

शुगर में बड़े काम का है करेला:
करेला में विटामिन ए,विटामिन सी,फाेलेट भरपूर मात्रा में होता है।करेला ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।इंसुलिन की कमी से शरीर शुगर पचा नहीं पाता है,जिससे शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और ये खून में मिलकर शरीर में सर्कुलेट होने लगता है।करेला इसी प्रोसेस को सही करता है।डायबिटिज में करेले के बीज का सेवन करने से शरीर में ब्लड शर्करा को कम करने में मदद करता है।ऐसा इसलिये है करेले में इंसुलिन की तरह काम करने वाले गुण होते है,जो ऊर्जा के लिये कोशिकाओं में ग्लूकोज़ लाने में मदद करते हैं।फिर इसके बीज़ पाचनतंत्र को ठीक करके इंसुलिन के रिलीज को और बढ़ाते है,जो कोशिकाओं को ग्लूकोज़ का उपयोग करने और इसे आपके लिवर,मांसपेशियों और वसा में स्थानान्तरित करने में मदद करते हैं।जीवक आयुर्वेदा,फोन नं०7704996699


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आयुर्वेदिक औषधियों में विराजमान हैं माँ नवदुर्गा

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मां दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण करती है एवं उनके सारे रोग दोष एवं संकट का नाश करती हैं। प्रकृति में उपलब्ध आयुर्वेदिक औषधियां इस बात का जीता जागता प्रमाण है। इन औषधियों को मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के रूप में जाना जाता है। नवदुर्गा के नौ औषधि स्वरूपों को मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति में दर्शाया गया है। आयुर्वेद की चिकित्सा प्रणाली के इस रहस्य को ब्रह्माजी द्वारा उपदेश में दुर्गाकवच कहा गया है।

प्रकृति में उपलब्ध आयुर्वेदिक औषधियां समस्त जन मानस के रोगों को दूर करने और उनसे बचा कर रखने के लिए एक कवच का कार्य करती हैं, इसलिए इसे दुर्गाकवच कहा गया है। इनके प्रयोग से मनुष्य अकाल मृत्यु से बचकर सौ वर्ष जीवन जी सकता है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार देवी नौ औषधि के रूप में मनुष्य की प्रत्येक बीमारी को ठीक कर रक्त का संचार उचित एवं साफ कर मनुष्य को स्वस्थ करती हैं।

प्रथम शैलपुत्री अर्थात हरड़

नवदुर्गा का प्रथम रूप शैलपुत्री है। कई प्रकार की समस्याओं में काम आने वाली औषधि हरड़, हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है। यह सात प्रकार की होती है। इसमें …

  • हरीतिका (हरी) भय को हरने वाली है।
  • पथया- हित करने वाली है,
  • कायस्थ – जो शरीर को बनाए रखने वाली है,
  • अमृता – अमृत के समान,
  • हेमवती – हिमालय पर होने वाली,
  • चेतकी -चित्त को प्रसन्न करने वाली है और
  • श्रेयसी (यशदाता)- कल्याण करने वाली।

द्वितीय ब्रह्मचारिणी अर्थात ब्राह्मी

नवदुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों का नाश करने वाली और स्वर को मधुर करने वाली है। इसलिए ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है। यह मन एवं मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है और गैस व मूत्र संबंधी रोगों की प्रमुख दवा है। यह मूत्र द्वारा रक्त विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है। इन रोगों से पीड़ित व्यक्ति को ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिए।

तृतीय चंद्रघंटा अर्थात चन्दुसूर

नवदुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा। इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान होता है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए।

चतुर्थ कुष्माण्डा अर्थात पेठा

नवदुर्गा का चौथा रूप कुष्माण्डा है। इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है। इसलिए इस रूप को पेठा भी कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान है। यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर हृदय रोग को ठीक करता है। कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर करता है। इन बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पेठा का उपयोग के साथ कुष्माण्डा देवी की आराधना करनी चाहिए।

पंचम स्कंदमाता अर्थात अलसी

नवदुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता है, जिन्हें पार्वती एवं उमा भी कहते हैं। यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त, कफ रोगों की नाशक औषधि है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति ने स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए।

षष्ठम कात्यायनी अर्थात मोइया

नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है। इससे पीड़ित रोगी को इसका सेवन व कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए।

सप्तम कालरात्रि अर्थात नागदौन

दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि है जिसे महायोगिनी, महायोगीश्वरी कहा गया है। यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक सर्वत्र विजय दिलाने वाली मन एवं मस्तष्कि के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है। इस पौधे को घर में लगाने पर सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह सुख देने वाली एवं सभी विषों का नाश करने वाली औषधि है। कालरात्रि की आराधना प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को करनी चाहिए।

अष्टम महागौरी अर्थात तुलसी

नवदुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है, जिनका औषधि नाम तुलसी है जो प्रत्येक घर में लगाई जाती है। तुलसी सात प्रकार की होती है- सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरुता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। सभी प्रकार की तुलसी रक्त को साफ करती है एवं हृदय रोग का नाश करती है। इस देवी की आराधना हर सामान्य एवं रोगी को करना चाहिए।

नवम सिद्धिदात्री अर्थात शतावरी

नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है, जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं। शतावरी बुद्धि, बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार एवं वात पित्त शोध नाशक और हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है। सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। रक्त विकार एवं वात पित्त से पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री देवी की आराधना करनी चाहिए।


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पित्त की पथरी Ayurvedic और Naturopathy उपचार

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आवर्तक दर्दनाक हमलों, अगर हल्के, को ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक के साथ इलाज किया जा सकता है।अपने पेट पर गर्म कुछ रखने से मदद मिल सकती है, इस बात का ख्याल रखें कि त्वचा को निखारें नहीं।कम वसा वाले आहार से हमलों की आवृत्ति कम हो सकती है।

ऑलिव ऑयल फ्लश:

30 मिली जैतून के तेल का सेवन करने से पित्ताशय की थैली सुबह में सबसे पहले करें। पित्त को छोड़ने में पित्ताशय की थैली का अनुकरण करने के लिए अंगूर के रस या नींबू के रस के 120 मिलीलीटर के साथ इसका पालन करें। यह पित्ताशय की थैली पर पित्त की रिहाई के लिए पत्थरों को बाहर धकेलने की मांग को बढ़ाता है। इससे आपको मल त्याग करने में परेशानी हो सकती है। चिंता न करें कि यह डिटॉक्स प्रक्रिया का हिस्सा है। ऐसा करने से पहले किसी चिकित्सक से सलाह लें।प्राकृतिक रूप से पित्ताशय की पथरी को भंग करने के लिए चुकंदर, गाजर और ककड़ी के रस को बराबर भागों में दो बार रोजाना पियें।आधा गिलास गर्म पानी में आधा गिलास नाशपाती का रस घोलें। दो बड़े चम्मच जोड़ें। शहद और दिन में तीन बार सेवन करें।पुदीने की चाय पियें अगर आपको पित्ताशय की थैली पर हमला करने में मदद मिलती है ताकि ऐंठन को शांत करने में मदद मिल सके और दर्द को कम करने से तुरंत राहत मिल सके।

क्या पित्त पथरी को रोका जा सकता है?

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि पित्त की पथरी के लिए उच्चतम जोखिम वाले व्यक्ति, वजन कम करने वाले मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति, वास्तव में कंचन गुग्गुलु लेने से पित्त पथरी के विकास के लिए अपने जोखिम को समाप्त कर सकते हैं। Cholagogues और Choleretics दो सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाएं हैं जो पित्त पथरी की रोकथाम में मदद कर सकती हैं।

आइए हम समझते हैं कि वे क्या हैं:

चोलोगोग्स:

ये ऐसी जड़ी-बूटियाँ हैं जो इसे अनुबंधित करने के लिए पित्ताशय की थैली को उत्तेजित करने की क्षमता रखती हैं। एलोवेरा और अरंडी चोलगॉग के सामान्य उदाहरण हैं।

कोलेरेटिक्स:

ये ऐसी जड़ी-बूटियाँ हैं जो यकृत को उत्तेजित करती हैं ताकि यह आमतौर पर पित्त को स्रावित कर सके। हल्दी एक कड़वी जड़ी बूटी का सबसे अच्छा उदाहरण है जो एक अदरक है जिसके बाद सूखे अदरक, काली मिर्च, लंबी काली मिर्च और हींग है।पित्ताशय की पथरी के लिए प्राकृतिक चिकित्सा यहाँ कुछ जड़ी बूटियों, पूरक आहार, आहार और जीवन शैली की सिफारिशों के साथ-साथ योग आसन हैं जो पित्ताशय की थैली के प्राकृतिक उपचार के लिए उत्कृष्ट हैं।

जड़ी बूटीगोक्षुरा:

गोखरू या गोक्षुरा एक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग आयुर्वेद में पित्ताशय की थैली और मूत्र पथ के विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। यह आमतौर पर पित्ताशय की थैली detoxify करने के लिए पाउडर के रूप में लिया जाता है। हालांकि, इसका उपयोग योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में किया जाना चाहिए।

पुनर्नवादि:

पुनर्नवादि कषायम शास्त्रीय आयुर्वेदिक तैयारियों में से एक है जिसका उपयोग पित्त पथरी के उपचार में किया जाता है।

चिकोरी:

भुनी हुई चिकोरी जड़ कॉफी के लिए एक कैफीन मुक्त विकल्प है। जिगर और पित्ताशय की थैली की खराबी को रोकने के लिए नियमित रूप से 60 मिली का रस पियें।

Dandelion:

Dandelion जिगर से पित्त के उत्सर्जन को प्रोत्साहित करने, इसे detoxify करने और वसा के चयापचय में सहायता करने में मदद करता है। यह एक सुस्त पित्ताशय की थैली के कामकाज को भी प्रोत्साहित करता है। सलाद में निविदा सिंहपर्णी साग का उपयोग करें या उन्हें उबले हुए खाएं। अपने पित्ताशय की पथरी को ठीक करने के लिए डंडेलियन चाय पिएं।

सूरजमुखी तेल:

ऊपर वर्णित फ्लश के लिए जैतून के तेल के बजाय इसका उपयोग किया जा सकता है।ब्लैक सीड (निगेला सतिवा): काले बीज और काले बीज के तेल का सेवन पित्त पथरी को रोकने और हटाने में मददगार साबित हुआ है। 250 ग्राम पिसे हुए काले बीज को 250 ग्राम शहद और 1 टीस्पून मिलाएं। काले बीज का तेल इसमें Add कप गर्म पानी मिलाएं और इसे खाली पेट लें।हल्दी: यह पित्ताशय की थैली के लिए जड़ी बूटियों में से एक है जो आपकी रसोई में आसानी से पाई जा सकती है जो आपके पित्त की घुलनशीलता को बढ़ा सकती है। इस मसाले में प्रमुख घटक को कर्क्यूमिन कहा जाता है जिसमें विरोधी भड़काऊ और उच्च एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं। हल्दी को खाना पकाने में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है या आप पित्त की पथरी को तोड़ने के लिए हर रोज गर्म पानी में घोलकर आधा चम्मच हल्दी पाउडर का सेवन कर सकते हैं।पुदीना: यह पाचन में मदद करने के लिए जाना जाने वाला एक जड़ी बूटी है क्योंकि यह अन्य पाचक रसों के साथ पित्त के प्रवाह को बढ़ावा देता है। पेपरमिंट में एक प्राकृतिक यौगिक होता है जिसे टेरेपीन कहा जाता है जो पित्त पथरी को भंग करने में मदद करता है।आयुर्वेदिक पूरक (चिकित्सक के मार्गदर्शन में लिया जाना चाहिए – अभी परामर्श करें) गोक्षुरादि गुग्गुलु Liveroleआरोग्यवर्धिनी बाटीअविपत्तिकर चूर्ण आहारछोटे पित्त पथरी आमतौर पर आहार संबंधी उपचार के माध्यम से साफ की जा सकती है। तीव्र पित्ताशय की सूजन के मामले में, रोगी को दो या तीन दिनों के लिए उपवास करना चाहिए जब तक कि तीव्र स्थिति कम न हो जाए। इस दौरान पानी के अलावा कुछ नहीं लेना चाहिए। उपवास के बाद, रोगी को कुछ दिनों के लिए फलों और सब्जियों के रस का सेवन करना चाहिए। गाजर, सेब, बीट, खट्टे फल जैसे संतरे और अंगूर, नाशपाती, अनार, नींबू या अंगूर का रस के रूप में लिया जा सकता है। ब्रोमेलैन, अनानास में एक एंजाइम और पपीते में निहित एक एंजाइम पित्ताशय की थैली के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके बाद, रोगी को कच्ची और पकी हुई सब्जियों, फलों और सब्जियों के रस पर जोर देने के साथ अच्छी तरह से संतुलित आहार अपनाना चाहिए। दही, पनीर और जैतून का तेल का एक बड़ा चमचा दिन में दो बार शामिल किया जाना चाहिए।अध्ययन के अनुसार, मैग्नीशियम से भरपूर आहार पित्त पथरी के जोखिम को कम कर सकता है। आपको इस अद्भुत खनिज की प्रतिदिन 400 मिलीग्राम की आवश्यकता है। कोलेस्ट्रॉल को पित्त एसिड में बदलने के लिए एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन सी) को प्रभावी माना जाता है। आपके शरीर में कम कोलेस्ट्रॉल और अधिक एसिड के साथ, आप पित्त पथरी के जोखिम को कम कर सकते हैं।जीवन शैली ऊपरी पेट के क्षेत्र में गर्म पैक या फोमाटेशन के आवेदन से पित्त पथरी के दर्द से राहत मिल सकती है। शरीर के तापमान पर गर्म पानी का एनीमा रोगी को कब्ज होने पर मल के संचय को खत्म करने में मदद करेगा। इष्टतम वजन बनाए रखने के लिए शारीरिक व्यायाम भी आवश्यक है। यदि पित्ताशय बहुत बड़े हैं या उन मामलों में जहां वे बहुत लंबे समय से मौजूद हैं, तो सर्जरी आवश्यक हो जाती है।योगवज्र मुद्रा (वज्रासन)घुटने से छाती (पवनमुक्तासन)कमल की मुद्रा (पद्मासन)बैक-स्ट्रेचिंग पोज़ (पसचिमोत्तानासन)टिड्डी मुद्रा (शलभासन)।

समस्या होने पर कॉल या व्हाट्सएप करें 77049966997570901365


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जीवक आयुर्वेदा द्वारा वायरस से लड़ने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय

कोरोना से मुकाबले के लिए जीवक आयुर्वेदा के विशेषज्ञो द्वारा करक्यूमिन, पिपरसीन ,गिलोय ,अश्वगंधा, अमलकी ,तुलसी ,दारूहल्दी ,व अन्य कई आयुर्वेदिक दवाई के अनुपातिक मिश्रण से रोगों के संक्रमण से लड़ने दवा तैयार कर रहा है। जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। कोरोना का किसी भी पद्धति में कोई इलाज नहीं है, इसलिए मानना है कि इस प्रकार के उपाय से संक्रमण से बचाव में मदद मिल सकती है। आयुष विशेषज्ञों का दावा है कि आयुर्वेद की तमाम सुगंधित जड़ी-बूटियों में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की क्षमता है।

ऐसे कई फार्मूले हैं जिनके इस्तेमाल से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हो सकता है। कुछ घरेलु फार्मूले गिलोय, अश्वगंधा, दालचीनी, लौंग, काली मिर्च आदि से बने हैं, वे प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करते हैं।

ये उपाय सामान्य सूखी खांसी और गले में खराश का इलाज करते हैं

पुदीना के पत्तों या अजवाइन के साथ एक बार भाप लिया जा सकता है।
सेंधा नमक पानी को हल्का गुनगुना करके गरारे कर सकते है।

  1. नाक का अनुप्रयोग: सुबह-शाम नाक में तिल का तेल, नारियल का तेल या घी लगायें।
  2. ऑयल पुलिंग थेरेपी: एक चम्मच तिल या नारियल के तेल को दो मिनट तक मुंह में रखें और थूक दें। फिर गर्म पानी से कुल्ला करें।

तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सोंठ और मुनक्का से बना काढ़ा/ हर्बल टी दिन में दो बार लें। आवश्यक हो तो स्वाद के अनुसार गुड़ या ताजा नींबू का रस मिलाएं।

गोल्डन मिल्क -150 मिली गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर-दिन में एक या दो बार लें।
प्रतिदिन सुबह 1 चम्मच च्यवनप्राश लें। मधुमेह रोगियों को शुगर फ्री च्यवनप्राश लेना चाहिए।


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कोरोना का डर सताए, तो ऐसे इम्युनिटी बढ़ाएं

डाइट में शामिल करें

कोरोना वायरस के चलते इस समय पूरी दुनिया खतरे में है क्योंकि अभी तक इसका इलाज नहीं मिला। मगर, कहते है ना इलाज से परहेज अच्छा, बस आपको उन्हीं नियम को अपनाना है। जी हां इसमे ना हम कोई नुस्खे बताएंगे और ना ही कोई टोटका… आपको बस अपने डाइट शामिल करनी है…

सबसे पहले तो दवाइयां ना खाएं क्योंकि कोई एंटीबायोटिक्स इस वायरस पर असर नहीं दिखाएंगे ,उल्टा आपका इम्यून सिस्टम गड़बड़ा सकता हैं। ऐसे में कोई भी दवा का सेवन करने के पहले डॉक्टर से सलाह लें।

अब डाइट जानिए….

विटामिन सी बहुत जरूरी

ज्यादा मात्रा में विटामिन सी लें। दिन की करीब 2000 से 3000 मि.ग्रा विटामिन सी की मात्रा लेने से इम्यून सिस्टम मजबूत होगा, जिससे आप कोरोना से बचे रहें। इसके लिए संतरा, थाइम (Thyme), गोभी, अजमोद (parsley), प्याज, नींबू, ब्रोकली, शिमला मिर्च, पाइनएप्प‍ल, कीवी, पपीता, मुनक्‍का, आंवला, स्ट्रॉबेरी, चौलाई, गुड़ आदि खाएं।

जिंक भी खाना जरूरी

12 साल तक के बच्चे 8 मिलीग्राम (mg) और वयस्क 15 मिलीग्राम (mg) जिंक की मात्रा लें। अदरक, कद्दू के बीज, दाल जैसे फूड्स में जिंक होता है।

विटामिन D3

हर किसी को रोजाना 2 से 4000 आईयू विटामिन D3 चाहिए होता है। इसका सबसे बढ़िया स्त्रोत धूप है इसलिए रोजाना सुबह की हल्दी गुनगुनी धूप जरूर लें।

प्रोबायोटिक्स

प्रोबायोटिक्स फूड्स भी इम्यून सिस्टम मजबूत बनाते हैं। एक दिन में 10-15 बिलियन प्रोबायोटिक्स फूड लेना जरूरी है। इसके लिए मुनक्का व शहद को मिक्स करके दिन में 2 चम्मच, सुबह एक चम्मच और रात में एक चम्मच लें।

एसेंशियल ऑयल

घर में जलाने से एसेंशियल ऑयल जलाने से वायरस मर जाएंगे। इसमें मौजूद एंटीवायरस गुण वायरस को आपके सिस्टम में प्रवेश करने से पहले ही मार देगा।

कौन-से तेल है फायदेमंद

  1. टी-ट्री, लैवेंडर, लौंग, नींबू, रेवेंसरा और नीलगिरी ग्लोब्युलस तेल को भी घर में जला सकते है।
  2. आप चाहें तो इन ऑयल्स को स्प्रे की तरह भी यूज कर सकते हैं, ताकि किसी भी तरह का वायरस आपकी नाक, मुंह तक ना पहुंचे। इसके लिए 1 टेबलस्पून जैतून, सूरमुखी और बादाम तेल को मिक्स करें। अब इसे स्प्रे की तरह यूज करें।
  3. तेल से पैरों के तलवे, सिर व पीठ की रीढ़ हड्डी भी अच्छी तरह मालिश करें।
  4. इन्हें भोजन में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे इम्यून सिस्टम बूस्ट होगा।
  5. इसके अलावा रोजाना 9-10 गिलास पानी पीएं और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

इम्यून बूस्टर Teaभी है मददगार

-एक नींबू का रस
-1 मुट्ठी ताजा थाइम
-1 चम्मच सूखा अजवायन के फूल
-2 इंच अदरक
-2 चम्मच मुनक्का व शहद
-1 टेबलस्पून एप्पल साइडर सिरका
-1 लौंग ताजा लहसुन की

चाय बनाने का तरीका

एक पैन में पानी व थाइम को डालकर 15 मिनट तक अच्छी तरह उबाल लें। लहसुन व लौंग को छोड़कर बाकी सारी सामग्री को पानी में डालकर उबालें। आखिर में लहुसन व लौंग को पीसकर पानी में उबालें। अब इसे छानकर दिन में एक बार पीएं। यह चाय इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ स्ट्रेस को भी दूर करेगी।

याद रखें आपकी डाइट ही आपको कोरोना से बचाएगी। साथ ही हर बुखार या फ्लू को कोरोना वायरस ना समझें। यह फ्लू का मौसम भी है, इसलिए सतर्क और होशियार रहें लेकिन घबराएं नहीं। कोरोना से बचने के लिए हर वो सावधानियां बरते, जो बेहद जरुरी है। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।


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कैंसर मरीज के लिये डाईट चार्ट: क्या खायें क्या न खाएं ?

कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से जूझ रहे मरीज़ अक्सर खान पान को लेकर चिंतित रहते हैं इसे में उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खान चाहिए इसे समझना जरुरी है! इस लेख में हम जानेंगे की एक कैंसर मरीज़ को अपने खान पण में क्या सावधानी रखनी चाहिए..

पथ्य (क्या खाएं)

1-सुबह उठकर दो गिलास गुनगुना पानी नींबू डालकर पीयें
2-सुबह नाश्ते में 500 से 800 ग्राम तक फल ले सकते हैं (केला खजूर व ज्यादा मीठे फल नहीं लेना है)
3-लंच में 200 सिर्फ 500 ग्राम तक सलाद, पत्तेदार सब्जियां खाएं! सलाद में मूली, गाजर, चुकंदर खीरा या ककड़ी कुछ भी ले सकते हैं!
4-बेसन या रागी का चिला, दलिया, ओट्स, पोहा, मिक्स अनाज, चना, जौ, बाजरा, रागी की रोटी ले सकते हैं
5-नारियल पानी ज्यादा से ज्यादा ले सकते हैं
6-सूप में टमाटर, मिक्स वेजिटेबल या मशरूम का सूप ले सकते हैं
7-पॉपकॉर्न, पफ्ड़ राईस, पफ्ड़ व्हिट, रोस्टेड पोहा, रागी मिक्चर, तालमखाना, रामदाना ले सकते हैं
8-संतरा, मौसमी, पपीता, अनानास या अंगूर का ताजा जूस ले सकते हैं (पैक्ड जूस नहीं लेना है)
9-दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर ले सकते हैं ताजा दही व मट्ठा ले सकते हैं
10-चार से पांच लीटर पानी रोजाना पीयें
11-सैचुरेटेड तेल के स्थान पर सरसों, सूरजमुखी तेल का प्रयोग करें

अपथ्य (क्या न खाएं)

1-गेहूं, चावल, ब्रेड, चीनी, बिस्कुट, चाय, कॉफी, केला, खजूर, पैक्ड फूड, पैक्ड जूस ना लें
2-आलू, मैदा, हाइड्रोजनिकृत तेल, ठंडे पेय, आइसक्रीम, धूम्रपान, मदिरा का सेवन ना करें
3-ज्यादा नमक, तले हुए पदार्थ, रेड मीट नहीं लेना है
4-सब्जियां: अरवी, भिंडी, बैंगन, कटहल, कद्दू, राजमा, छोले, उड़द दाल, जैसे गरिष्ठ भोजन ना लें

अन्य जानकारी के लिए जीवक आयुर्वेदा के हेल्पलाइन 7704996699 पर सम्पर्क करें !


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