आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार विधि द्वारा कैंसर, किडनी, डायबिटीज के उपचार में नवीनतम अनुसंधानों का लाभ ले।
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वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित परिणाम डायबिटीज के इंजेक्शन और दवाईयों से छुटकारा:
ज्यादातर मरीजों को एक सप्ताह में ही दवाओं और इंजेक्शन से छुटकारा मिल जाता है और उसका शुगर पहले से बेहतर नियंत्रित भी रहता है.डायबिटीज के दुष्परिणाम भी ठीक हो सकते हैं: सीरम क्रिएटिनिन में कमी, अधिक ऊर्जा, उम्र बढ़ने और कायाकल्प। अधिक यौन शक्ति और उत्साह के साथ कामेच्छा की हानि में सुधार। बिना किसी दवा के स्तंभन दोष का सुधार।
आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार डायबिटीज में कैसे काम करता है।
आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार का वैज्ञानिक आधार:
डायबिटीज की मुख्य वजह है शरीर की कोशिकाओं के द्वारा एनर्जी / उर्जा का सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाना। आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार के द्वारा कोशिकाओं के मेटाबोलिज्म को ठीक किया जाता है जिससे कोशिकाओं द्वारा उर्जा का सही इस्तेमाल होने लग जाता है।आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार से डायबिटीज की मूल समस्या ही ख़त्म हो जाती है। जब कोशिकाएं उर्जा का सही इस्तेमाल करने लगती हैं तो शरीर में ताकत आती है जिससे सेक्स की समस्या मिट जाती है और आप सुखी जीवन का आनंद ले सकते हैं। क्योंकि आपके भय का अंत हो जाता है इसलिए आप परिवार और समाज के लिए सार्थक जीवन जीते हैं। डायबिटीज में आयुलर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार से किडनी फेलियर जैसे दुष्परिणाम नहीं होते।आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार से डायबिटीज के दुष्परिणाम जैसे किडनी फेलियर, कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज, नपुंसकता इत्यादि भी ठीक होते हैं।
मधुमेह का आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार सबसे वैज्ञानिक है और मधुमेह की सभी जटिलताओं को रोकने में कारगर साबित होता है।
डायबिटीज में किडनी फेलियर के भय से बेहतर है आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार
आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार के द्वारा डायबिटीज की मूल समस्या ही खत्म हो जाती है, और आप किडनी फेलियर, हृदयाघात, अंधापन जैसे दुष्परिणाम से बच जाते हैं।
यह उपचार डायबिटीज टाइप -1 और टाइप 2 दोनों में सामान रूप से कारगर है.
आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक पद्धति द्वारा डायबिटीज के उपचार के फायदे
इंजेक्शन से मुक्ति (टाइप-1 और टाइप-2 दोनों में) आप मधुमेह के मधुमेह के उपचार द्वारा इंजेक्शन और मधुमेह की सभी दवाओं से छुटकारा पा सकते हैं और आपकी शर्करा और कोलेस्ट्रॉल अपने आप नियंत्रित हो जाते हैं डायबिटीज के दुष्परिणाम- अंधापन, हृदयाघात और किडनी फेलियर की सम्भावना न के बराबर होती है. यदि आप आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक मधुमेह के उपचार में अपनाते हैं, तो गुर्दे की विफलता जैसी जटिलताओं का कोई मौका नहीं है।असमय बुढापे से मुक्ति : डायबिटीज के मरीज की उम्र 20 साल और बढ़ाई जा सकती है।मरीज़ को मानसिक समस्या जैसे- यादाश्त कम होना, डिप्रेशन, सुस्ती, इत्यादि से मुक्ति.जोड़ों का दर्द, स्फूर्ति की कमी, इत्यादि से मुक्ति.पेट की समस्या जैसे- दर्द, कब्जियत, बार-बार पेट ख़राब होना, इत्यादि से मुक्ति.आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार से कैंसर होने की सम्भावना ख़त्म हो जाती है।आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार से शरीर में रोग प्रतिरक्षण (इम्युनिटी) की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे सर्दी, बुखार, जुकाम, इत्यादि कम होता है.आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार से किडनी मजबूत होता है, और उसके ख़राब होने की सम्भावना न के बराबर होती है।हृदयरोग (Atherosclerosis) से बचाव करता है आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार से सेक्स की समस्या भी ठीक होती है।
डायबिटीज में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित उपचार लें
मेटाबोलिक उपचार डायबिटीज टाइप -1 और टाइप 2 दोनों में सामान रूप से कारगर है।
यह उपचार वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित और दुष्परिणामों को रोकने में सक्षम है।
मधुमेह का आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार सबसे वैज्ञानिक है और मधुमेह की सभी जटिलताओं को रोकने में कारगर साबित होता है।
आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार की सफलता दर:
डायबिटीज के परम्परागत उपचार जैसे रोज इंजेक्शन लेना अथवा शुगर कण्ट्रोल करने की दवाई इत्यादि से शुगर कभी भी कण्ट्रोल नहीं हो सकता।इस तरह के उपचार से किडनी फेलियर इत्यादि से बचाव भी नहीं होता।यही वजह है कि गणमान्य लोग जिसे अच्छी चिकित्सा उपलब्ध है वह ज्यादा किडनी फेलियर का शिकार हो रहे हैं।
आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार से शुगर तुरंत ही कण्ट्रोल हो जाता है क्योंकि इसमें कोशिकाओं की मुख्य समस्या ही खत्म हो जाती है । क्योंकि बिमारी की वजह ही ख़त्म हो जाती है इसलिए किडनी फेलियर, हृदयाघात इत्यादि की संभावना ही नहीं रहती।
शुगर कण्ट्रोल के अलावा मरीजों को कई अन्य फायदे भी होते हैं।इस तरह आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार परम्परागत एलोपैथिक उपचार से बेहतर है।
मधुमेह का आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार सबसे वैज्ञानिक है और मधुमेह की सभी जटिलताओं को रोकने में कारगर साबित होता है।
आयुर्वेदिक व मेटाबोलिक उपचार ही क्यों?
अमेरिका में इस चिकित्सा पद्धति ने पारंपरिक इंजेक्शन पर आधारित उपचार का अंत कर दिया है। इस उपचार में शुगर स्वतः ही कण्ट्रोल हो जाता है और किडनी फेलियर जैसे दुष्परिणाम की कोई संभावना ही नहीं रहती। डायबिटीज के मरीज अपने चिकित्सक से क्या सवाल करें?
डायबिटीज के मरीज अपने चिकित्सक से निम्नलिखित सवाल जरूर पूँछें. ये सवाल आपकी जिंदगी बदल सकते हैं
जो दवाई अथवा इंजेक्शन आपको दिया जा रहा है उससे कितने दिनों में शुगर कण्ट्रोल हो जाएगा.आपके चिकित्सक जिसका उपचार कर रहे हैं उसमें कितने लोगों का शुगर कण्ट्रोल है अथवा जिसका HbA1C, 6 से कम है अगर दूसरे किसी भी मरीज का शुगर उस दवाई से कंट्रोल नहीं है फिर इस बात की क्या संभावना है कि उसी दवाई से आपका शुगर कण्ट्रोल हो जाएगा.आपके चिकित्सक द्वारा उपचार में कितने डायबिटीज के मरीज जिसकी उम्र 50 वर्ष से ज्यादा है और उसका किडनी स्वस्थ है अथवा क्रिएटिनिन 1 से कम है.अगर ज्यादातर लोगों की किडनी फेल हो जा रही है फिर इसकी क्या संभावना है कि आप उसी दवा को खाकर किडनी फेलियर से बच जायेंगे. जिस डॉक्टर से उपचार आप ले रहे हैं क्या उसके किसी भी मरीज का शुगर नियंत्रित हुआ है अगर हाँ तो उसके घर जाकर जरूर सत्यता की जांच करें. जिस डॉक्टर से आप उपचार ले रहे हैं कहीं उसे ही तो डायबिटीज नहीं है अगर हाँ तो फिर जो चिकित्सक खुद का उपचार नहीं कर पाए, तो फिर क्या यह संभव है कि उनसे कोई भी मरीज का शुगर नियत्रित हो पायेगा?
डॉ विवेक श्रीवास्तव
जीवक आयुर्वेदा
हेल्पलाइन 7704996699