World Autism Awareness Day: कहीं आपका बच्चा भी तो ऑटिज्म से पीड़ित नहीं ?
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क्या आपका बच्चा आपके चेहरे के हावभाव को देखकर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है? क्या वह आपकी आवाज सुनने के बावजूद न तो खुश होता है और न ही कुछ जवाब देता है? क्या वह दूसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा चुप रहता है? अगर आपके बच्चे में भी ये लक्षण हैं तो हो सकता है कि वह ऑटिज्म से पीड़ित हो। क्या है आटिज्म? कैसे पहचानें ? और क्या है इलाज़ ? इसी विषय पर चर्चा कर रहे हैं जीवक आयुर्वेदा के निदेशक टी के श्रीवास्तव।
आटिज्म क्या है ?
आटिज्म एक मस्तिष्क का विकार है जो अक्सर इससे ग्रस्त व्यक्ति का दूसरों के साथ संबंधित होना कठिन बनाता है। आटिज्म में, मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र एक साथ काम करने में विफल हो जाते हैं। इसे आटिज्म स्पेक्ट्रम विकार भी कहा जाता है।
आटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के तीन प्रकार हैं
ऑटिस्टिक डिसऑर्डर (Autistic Disorder)
एस्पर्जर सिन्ड्रोम (Asperger Syndrome)
परवेसिव डेवलपमेंटल डिसऑर्डर (Pervasive Developmental Disorder)
आटिज्म के लक्षण
अपने नाम पर प्रतिक्रिया देने में विफल रहना।
गले से लगाने या पकड़ने पर विरोध करना और अकेले खेलना पसंद करना।
नज़रें मिलाने से बचना और चेहरे के अभिभावों का न होना।
न बोलना या बोलने में देरी करना या पहले ठीक से बोलने वाले शब्द या वाक्यों को न बोल पाना।
वार्तालाप को शुरू नहीं कर पाना या जारी नहीं रख पाना या केवल अनुरोध के लिए बातचीत शुरू करना।
एक असामान्य लय से बोलना, एक गीत की आवाज़ या रोबोट जैसी आवाज़ का उपयोग करना।
शब्दों या वाक्यांशों को दोहराना लेकिन उनके उपयोग की समझ न होना।
सरल प्रशनों या दिशाओं को समझने में असमर्थता।
अपनी भावनाओं को व्यक्त न करना और दूसरों की भावनाओं से अनजान रहना।
निष्क्रिय, आक्रामक या विघटनकारी होने के कारण सामाजिक संपर्क से बचना।
कुछ गतिविधियों को दोहराना, जैसे – हिलना, घूमना या हाथ फड़फड़ाना या खुद को नुक्सान पहुंचाने वाली गातीधियाँ (जैसे सिर पटकना)।
विशिष्ट दिनचर्या या अनुष्ठान विकसित करना और थोड़े ही बदलाव में परेशान हो जाना।
लगातार हिलते रहना।
असहयोगी व्यवहार करना या बदलने के लिए प्रतिरोधी होना।
समन्वय की समस्याएं या अजीब गतिविधियां करना (जैसे पैर के पंजों पर चलना)।
रौशनी, ध्वनि और स्पर्श के प्रति असामान्य रूप से संवेदनशील होना और दर्द महसूस न करना।
कृत्रिम खेलों में शामिल न होना।
असामान्य तीव्रता या ध्यान लगाकर कोई कार्य या गतिविधि करते रहना।
भोजन की अजीब पसंद होना, जैसे कि केवल कुछ खाद्य पदार्थों को खाना या कुछ खास बनावट वाले पदार्थों का ही सेवन करना।
आटिज्म क्यों होता है?
ऑटिज्म के वास्तविक कारण के बारे में फिलहाल जानकारी नहीं है। पर्यावरण या जेनेटिक प्रभाव, कोई भी इसका कारण हो सकता है। वैज्ञानिक इस संबंध में जन्म से पहले पर्यावरण में मौजूद रसायनों और किसी संक्रमण के प्रभाव में आने के प्रभावों का भी अध्ययन कर रहे हैं। शोधों के अनुसार बच्चे के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाली कोई भी चीज ऑटिज्म का कारण बन सकती है। कुछ शोध प्रेग्नेंसी के दौरान मां में थायरॉएड हॉरमोन की कमी को भी कारण मानते हैं। इसके अतिरिक्त समय से पहले डिलीवरी होना। डिलीवरी के दौरान बच्चे को पूरी तरह से आक्सीजन न मिल पाना। गर्भावस्था में किसी बीमारी व पोषक तत्वों की कमी प्रमुख कारण है।
बच्चे के जन्म के छह माह से एक वर्ष के भीतर ही इस बीमारी का पता लग जाता है कि बच्चा सामान्य व्यवहार कर रहा है या नहीं। शुरुआती दौर में अभिभावकों को बच्चे के कुछ लक्षणों पर गौर करना चाहिए। जैसे बच्चा छह महीने का हो जाने पर भी किलकारी भर रहा है या नहीं। एक वर्ष के बीच मुस्कुरा रहा है या नहीं या किसी बात पर विपरीत प्रतिक्रिया दे रहा है या नहीं। ऐसा कोई भी लक्षण नजर आने पर अभिभावक को तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
आटिज्म से बचाव
आटिज्म होने से रोका नहीं जा सकता है लेकिन आप इसके कुछ जोखिम को कम कर सकते हैं यदि आप निम्नलिखित जीवनशैली के परिवर्तनों का प्रयास करते हैं –
स्वस्थ रहें – नियमित जाँच करवाएं, अच्छी तरह संतुलित भोजन और व्यायाम करें। सुनिश्चित करें कि आपकी अच्छी जन्मपूर्व देखभाल हुई है और सभी सुझाए गए विटामिन व पूरक आहार लें।
गर्भावस्था के दौरान दवाएं न लें – गर्भावस्था में किसी भी प्रकार की दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से पूछें। खासकर दौरों को रोकने वाली दवाएं।
शराब न लें – गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन न करें।
डॉक्टर की सलाह लें – यदि आपको आटिज्म के कोई भी लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें, आप जीवक आयुर्वेदा के हेल्पलाइन नंबर 7704996699 पर निःशुल्क सलाह प्राप्त कर सकते हैं।